जालंधर: – (परमजीत पम्मा / कुणाल तेज़ी / जसकीरत राजा) कोरोना की दूसरी लहर में प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है। इस समय लगभग हर वह अस्पताल मरीजों से भरा हुआ है जहां कोरोना का इलाज हो रहा है परंतु एकाएक आई मैडीकल ऑक्सीजन की कमी ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अगर सरकार व प्रशासन समय रहते इस ओर ध्यान देते तो आज मैडीकल ऑक्सीजन का संकट न गहराता। उल्लेखनीय है कि कोरोना की पहली लहर गत वर्ष मार्च माह में शुरू हुई थी और तभी से ही मरीजों का आंकड़ा प्रतिदिन बढ़ता गया। हालांकि कुछ माह इसकी रफ्तार कम हुई थी परंतु अब कोरोना की दूसरी लहर ने हालात पहले से भी बदतर कर दिए हैं। कोरोना मरीजों के लिए दवाइयों के अतिरिक्त पहली जरूरत मैडीकल ऑक्सीजन की होती है, जिसका उचित प्रबंध करने के लिए प्रशासन ने पिछले वर्ष मार्च माह के बाद से ही इस ओर कोई ध्यान ही नहीं दिया। अब हालात ये हो गए कि अस्पतालों में दाखिल कोरोना मरीजों के लिए मैडीकल ऑक्सीजन ही नहीं है और औद्योगिक इकाइयों के मालिकों को वे ऑक्सीजन के लिए लगातार फोन कर रहे हैं ताकि उनके अस्पतालों में कोई अनहोनी न हो जाए। जिस तरह से मैडीकल ऑक्सीजन का संकट गहरा रहा है, उससे लगता है कि हालात और बिगड़ सकते हैं।