जालंधर (परमजीत पममा/कूनाल तेजी/लवजीत): डिप्टी कमिश्नर घनश्याम थोरी ने कार्यालय में एक वर्ष पूरा कर लिया है, जिस दौरान उन्होंने कोविड -19 महामारी के दौर में नये मील पत्थर स्थापित किये, ख़ास कर इस मुश्किल समय में विकास प्रोजेक्टों को गति दी। शासन प्रति उनकी दोहरी पहुँच, जिस के अंतर्गत एक तरफ़ कोविड प्रबंधन और दूसरी तरफ़ मुख्य सरकारी योजनाओं को लागू करने में तेज़ी लाने मे जालंधर को सिर्फ़ एक वर्ष के समय में महत्वपूर्ण सामाजिक -आर्थिक प्रगति प्राप्त करने के समर्थ बनाया घनश्याम थोरी, जिन 14 जून, 2020 को डिप्टी कमिश्नर के तौर पर पदभार संभाला, के नेतृत्व में जालंधर राज्य सरकार के प्रमुख प्रोग्रामों में प्रमुख बन कर उभरा। सरकार के सभी मापदण्डों में जालंधर ने अपनी, प्राप्तियों को जारी रखते राज्यों के सर्वोच्च तीन स्थानों में अपनी जगह बनाई हुई है। श्री थोरी और उनकी टीम के नेतृत्व में जालंधर ने मनरेगा को लागू करने में महत्वपूर्ण सुधार किए है।
घनश्याम थोरी ने कोविड -19 महामारी के कारण पैदा हुई नई चुनौतियों, जिसने पूरे देश में तूफ़ान ला दिया था, के बीच यह पदभार संभाला गया था। इतने बड़े जिले का प्रबंध करना एक मुश्किल लड़ाई थी, जोकि विदेशों से लोगों की आमद से एक एन.आर.आई. हब भी है। थोरी ने जिले में स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचो में सुधार के लिए सामर्थ्य बढ़ाने के प्रयासों पर 24 घंटे काम किया, जिस ने दूसरी लहर के साथ प्रभावशाली ढंग से निपटने में सहायता की। बदकिस्मती से जालंधर राज्य का एक मात्र महत्वपूर्ण ज़िला है, जो पूरी तरह संचालित मैडीकल कालेज से बिना कोविड के गंभीर मरीज़ों का इलाज कर रहा है। एस.डी.आर.एफ. फंडों के साथ थोरी की मुख्य मंत्री की दूरदर्शता के प्रति वचनबद्धता ने उनको सी.एस.आर. फंडों को जुटाने के लिए उत्साहित किया, जिस का प्रयोग सिविल अस्पताल जालंधर में पूर्ण ट्रशरी देखभाल का बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए की गई, जिस से यह अस्पताल दोआबा क्षेत्र के मरीज़ों, पड़ोसी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों जैसे हिमाचल प्रदेश और जम्मू के जरूरतमंद मरीज़ों को भी इलाज मुहैया करवाने में किसी मैडीकल कालेज से कम नहीं रहा। सिविल अस्पताल, जालंधर में स्तर 2और स्तर 3 अस्पताल सामर्थ्य में विस्तार करने के लिए बड़े स्तर पर सीएसआर जुटाने के इलावा प्राईवेट अस्पतालों को अपने पी.एस.ए. प्लांट स्थापित करने के लिए प्रेरित करने में सफलता प्राप्त की गई। पिछले साल दौरान ज़िला जालंधर ने समूचे बड़े जिलों के मुकाबले पी.एस.ए. प्लांटों की सामर्थ्य में अधिक से अधिक विस्तार दर्ज किया है। निष्कर्ष के तौर पर जालंधर न सिर्फ़ अपने मरीज़ों का भार सहन करने के योग्य है बल्कि दिल्ली एन.सी.आर., हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और उत्तरी राजस्थान से आए कोविड मरीज़ों को संभालने के भी समर्थ है।
सी.एस.आर. के अंतर्गत एक करोड़ से अधिक रकम कोविड बुनियादी ढांचो का विस्तार करने और उनके इलाज की पूरक लागत को बढ़ाने के लिए जुटाई गई, जो इसको सहन करने में समर्थ नहीं थे। पिछले साल कोविड संकट के दौरान ज़िला प्रशासन की तरफ से वित्तीय सहायता के द्वारा 150 से अधिक व्यक्तियों को लाभ पहुँचाया गया। डिप्टी कमिश्नर घनश्याम थोरी ने जालंधर जिले में “ज़ीरो पैंडैंसी पहुँच को डिज़ाइन और लागू करके पब्लिक डिलिवरी व्यवस्था पर ध्यान केंद्रित करने पर ज़ोर दिया गया। इस पहलकदमी ने यकीनी बनाया कि जनतक सेवाएं प्रदान करने की निर्धारित समय सीमा के बाद ज़िले में 0.01% से भी कम केस पैंडिंग हैं। पब्लिक डिलिवरी व्यवस्था और पब्लिक ग्रीवऐंस रिडरैसल में प्रधान मंत्री अवार्ड आफ एक्सीलेंस के अंतिम दौर के लिए भी यह’पहुँच’विचार अधीन है। पिछले एक साल के दौरान इस पुरस्कार के लिए मुकाबला करने वाला जालंधर पंजाब का अकेला ज़िला है। इस प्रक्रिया नवीनता को स्काच अवार्ड 2020 के साथ भी नवाजा जा चुका है। मौजूदा समय राज्यो में जनतक सेवाओं के लिए अर्ज़ियों की पैंडैंसी को कम करने के लिए प्रक्रियाओं को पंजाब के अन्य जिलों में भी दुहराया जा रहा है। डिप्टी कमिश्नर घनश्याम थोरी का नेतृत्व में राज्य सरकार की समूचे प्रमुख योजनाएँ जैसे कि एम.जी.एस.वी.वाई, घर -घर रोज़गार, किसानों के लिए कर्ज़ राहत प्रोग्राम, गार्डियनज आफ गवर्नेंस, मनरेगा, बेघरों के लिए घर आदि को लागू करने के लिए सख़्त प्रयास किये गए।
ज़िला हर स्वास्थ्य बीमा योजना में सिर्फ़ तीन महीनों में ज़िक्रयोग्य 40 प्रतिशत कवरेज करके 13वें रैंक से पहले नंबर पर पहुँच गया है, वह भी कोविड 19 महामारी के दौरान। इसी तरह, पंजाब भर में रोज़गार पैदा करने के मामलो में मेगा रोज़गार मेलों के द्वारा जालंधर लगातार राज्यों की सप्ताहिक प्रगति रिपोर्ट में चोटी के 3 जिलों में शुमार है। जालंधर अलग -अलग विकास प्रमुख स्कीमों जैसे कि स्मार्ट विलेज मुहिम (स्तर 1और स्तर -2) और शहरी वातावरण सुधार प्रोग्राम फेज -1और फेज -2 में बढ़िया कार्यवाही दिखाने वाला ज़िला बन सका। डिप्टी कमिश्नर जालंधर घनश्याम थोरी की देख रेख में शहरी वातावरण सुधार प्रोग्राम के फेज -1 के अंतर्गत किये जाने वाले काम पूर्ण हो चुके हैं और फेज -2 के अंतर्गत 35 फीसद काम निर्धारित समय में पूर्ण किये जा चुके हैं। जालंधर में बढ़ों की रोकथाम के लिए किये जाने वाले विकास कार्य भी समय पर पूर्ण किये जा चुके हैं। इस के इलावा पीआईडीबी, आरडीऐफ,एमपी लैड्ड के अंतर्गत किये जाने वाले कार्यों लगातार निगरानी की गई और प्रौद्यौगिकी द्वारा आंकड़ों का विश्लेषण करते प्रयोग सर्टिफिकेट एकत्रित करके समय पर वापिस भेजे गए हैं।
डिप्टी कमिश्नर ने ज़िले में मालीए से सबंधित मामलों का फास्ट ट्रैक के द्वारा सभी सबंधित धिड़ों को शामिल करते हुए निपटारा किया गया है। हाल ही में कोविड -19 करके अदालतों का काम काज बंद होने पर केवल 40 पुराने केस अदालत में आए हैं, इन का भी अदालतों का काम शुरू होने पर जल्द निपटारा कर दिया जायेगा। इस के इलावा 140 केस जोकि पिछले एक साल से बकाया पड़े थे, की भी डिप्टी कमिश्नर की तरफ से पहले ही निपटा दिये जा चुके हैं। “चाहे कि जालंधर प्रशासन को पिछले एक साल से कोविड -19 महामारी के कारण अलग -अलग चुनौतियों का सामना करना पड़ा परन्तु मेरी बहुत ही मेहनती टीम ने मुझे अपनी ड्यूटी को बढ़िया ढंग से निभाने में सहयोग दिया। डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि मैं सभी ज़िला निवासियों का भी प्रशासन को पूरा सहयोग देने और स्थितियों को समझने के लिए धन्यवाद करता हूँ। डिप्टी कमिश्नर घनश्याम थोरी की तरफ से गई पहल कदमियां डिप्टी कमिश्नर की तरफ से टांडा रोड रेलवे फाटक में रेलवे अंडर ब्रिज बनाने की तजवीज़ पेश की गई, जिस को उच्च आधिकारियों की तरफ से परवानगी मिल गई है।
रेड क्रास सोसायटी में आक्सीजन कनसनटरेटरज़ बैंक बनाया गया,जिस की तरफ से 110 मरीज़ों को घरों में ही जालंधर में वाजिब कीमत पर आक्सीजन की सहायता मुहैया करवाने के साथ-साथ पास के जिलों के ज़रूरतमंदों को भी आक्सीजन सप्लाई की गई। ज़िले में आक्सीजन सप्लाई को निर्विघ्न और सुचारू ढंग से जारी रखने के लिए आक्सीजन जनरेशन प्लाटों में पुलिस कर्मी तैनात किये गए। इस के इलावा प्राईवेट अस्पतालों को पीएसए अधारित आक्सीजन प्लांट लगाने के लिए प्रेरित किया गया, जिससे सात बड़े प्राईवेट अस्पतालों की तरफ से अपने अस्पतालों में यह प्लांट लगाए गए।
जालंधर सिविल अस्पताल को पहला आक्सीजन जनरेशन प्लांट मिला और एक अन्य प्लांट अस्पताल चल रहा है, जिस का मुख्य उद्देश्य जालंधर को आक्सीजन बनाने में आत्म निर्भर बनाना है।
कोविड -19 महामारी के दौरान मुनाफ़ाख़ोरी, काला बाजारी और कोविड संभाल संस्थाओं में ख़ामियाँ को रोकने के लिए, जो इन ख़ामियाँ को उजागर करेगा, उसे डिप्टी कमिश्नर की तरफ से 25000 रुपए के इनाम के साथ सम्मानित करने की घोषणा की गई। ऐसे स्टींग ऑपरेशन करके ऐफ.आई.आर दर्ज करवाने वालों को सम्मानित किया गया।
कोविड -19 के मामलों में कमी लाने को यकीनी बनाने के साथ-साथ आर्थिक गतिविधियों को ओर भी सुचारू ढंग से चलाने के लिए जालंधर कोविड -19 पाबंदियों में अधिक राहत देने वाला पहला ज़िला बना। कारोबार को चलाने के लिए 5 घंटे अधिक समय देने से साथ राज्य में आर्थिक गतिविधियों को ओर तजी मिला और इस से आर्थिक उपभोग को बढ़ाने और अधिक राजस्व एकत्रित करने में मदद मिली। इस समय दौरान जालंधर कोविड के मामलों में कमी लाने के साथ साथ मौत के मामलों में भी कमी ला सका। डिप्टी कमिश्नर जालंधर की योग्य नेतृत्व में ज़िला प्रशासन द्वारा किये गए सभ्यक और अथक यतनों से जालंधर राज्य में बिना किसी मैडीकल कॉलेज के कोविड के इलाज के लिए एक हब के तौर पर विकसित हुआ हैं। ज़िला प्रशासन की तरफ से किये गए यतनों से ज़िला जालंधर कोविड करके होने वाली मौतों में राज्य भर में पिछले साल सातवें रैंक से पिछले हफ़्ते 18वें रैंक पर आ सका। राज्य भर में जालंधर की तरफ से 5.80 लाख लोगों को कोविड वैक्सीन लगाई गई जबकि दूसरे नंबर पर केवल लुधियाना ज़िले द्वारा यह वैक्सीन लगाई गई।
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