जालंधर (बलजिंदर कुमार/परमजीत पममा/कूनाल तेजी) – जालंधर वेस्ट हलके के कांग्रेसी नेता मेजर सिंह से किसी समय जालंधर के बड़े कांग्रेसी नेताओं में शुमार किया जाता था| परंतु अपने जिद्दी स्वभाव और लगातार विवादों में रहने के कारण मेजर सिंह का राजनीतिक कैरियर दांव पर लगता नजर आ रहा है| हैरानी की बात तो यह है कि जालंधर में जब कांग्रेस की पूरी हवा थी, उस समय भी मेजर पार्षद के चुनाव जीत नहीं पाए| पार्षद चुनाव हारने के कारणों की जब मीडिया द्वारा पता लगाने की कोशिश की गई तो यह पाया गया कि मेजर का अपने इलाके में ही राजनीतिक कद छोटा हो रहा है|परंतु मेजर ने इसके बावजूद अपनी नेचर और अपने स्वभाव में कोई बदलाव नहीं लाया| पार्षद के चुनाव हारने के बावजूद मेजर के करीबी कांग्रेसी विधायक की कोशिशों के कारण मेजर को पंजाब खादी बोर्ड के डायरेक्टर का पद तो मिल गया परंतु यह पद उनके राजनीतिक कैरियर में कोई खास उछाल नहीं ला सका बल्कि एक डमी पोस्ट ही बनकर रह गया| मेजर के करीबी बताते हैं कि मेजर सिंह को लगातार ऐसे लोग घेरे रहते हैं जो उन्हें मिसगाइड करते हैं| मेजर खादी बोर्ड के डायरेक्टर हैं और सरकार भी कांग्रेस की है तो उनके आसपास के लोग उन्हें फोकी हवा छकाकर अपने छोटे-मोटे काम निकलाते रहते हैं, पर जमीनी हकीकत क्या है यह मेजर सिंह तक पहुंचने ही नहीं दी जाती| यही कारण है कि वो लगातार विवादों में फंसते जा रहे हैं| असल बात यह है कि मेजर सिंह दिन-ब-दिन विवादों में घिरते जा रहे हैं |ताजा पंगा मेजर सिंह का कुछ पत्रकारों के साथ पड़ा हुआ है, जो कि मेजर सिंह के लिए अच्छी बात नजर नहीं आ रही| मेजर के एक करीबी नेता का कहना है कि अगर यही हाल रहा तो आने वाले समय में मेजर सिंह जालंधर की राजनीति मैं पूरी तरह से हाशिए पर आ सकते हैं |मेजर के करीबी बताते हैं कि मेजर सिंह खुद अच्छे दिल के आदमी हैं परंतु जिस प्रकार के लोगों से आजकल वो घिरे रहते हैं, उन्होंने उनका राजनीतिक कैरियर तबाह कर देना है| देखना होगा कि क्या मेजर सिंह अपने व्यवहार में उचित बदलाव लाकर अपने साथ जुड़े सारे विवादों को खत्म करके एक बड़े नेता के तौर पर उभर कर सामने आ पाते हैं या नहीं|